मेरे आदर्श हमारे सबसे प्रिय ओशो( Our beloved Osho)

 

मेरे आदर्श हमारे सबसे प्रिय ओशो



 


1. ओशो का शुरुआती जीवन

11 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश के कुचवाड़ा में उनका जन्म हुआ था. जन्म के वक्त उनका नाम चंद्रमोहन जैन था. बचपन से ही उन्हें दर्शन में रुचि पैदा हो गई।

2. अमरीका प्रवास

साल 1981 से 1985 के बीच वो अमरीका चले गए. अमरीकी प्रांत ओरेगॉन में उन्होंने आश्रम की स्थापना की. ये आश्रम 65 हज़ार एकड़ में फैला था.

ओशो का अमरीका प्रवास बेहद विवादास्पद रहा. महंगी घड़ियां, रोल्स रॉयस कारें, डिजाइनर कपड़ों की वजह से वे हमेशा चर्चा में रहे।

ओरेगॉन में ओशो के शिष्यों ने उनके आश्रम को रजनीशपुरम नाम से एक शहर के तौर पर रजिस्टर्ड कराना चाहा लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया।

इसके बाद 1985 वे भारत वापस लौट आए।

3. ओशो की मृत्यु

भारत लौटने के बाद वे पुणे के कोरेगांव पार्क इलाके में स्थित अपने आश्रम में लौट आए. उनकी मृत्यु 19 जनवरी, 1990 में हो गई.

उनकी मौत के बाद पुणे आश्रम का नियंत्रण ओशो के क़रीबी शिष्यों ने अपने हाथ में ले लिया. आश्रम की संपत्ति करोड़ों रुपये की मानी जाती है और इस बात को लेकर उनके शिष्यों के बीच विवाद भी है.

ओशो के शिष्य रहे योगेश ठक्कर ने बीबीसी मराठी से कहा, "ओशो का साहित्य सबके लिए उपलब्ध होना चाहिए। इसलिए मैंने उनकी वसीयत को बॉम्बे हाई कोर्ट में चैलेंज किया है."

ओशो का डेथ सर्टिफिकेट जारी करने वाले डॉक्टर गोकुल गोकाणी लंबे समय तक उनकी मौत के कारणों पर खामोश रहे. लेकिन बाद में उन्होंने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि मृत्यु प्रमाण पत्र पर उनसे ग़लत जानकारी देकर दस्तख़त लिए गए.

अब डॉक्टर गोकुल गोकाणी ने योगेश ठक्कर के केस में अपनी तरफ से शपथपत्र दाखिल किया है. उनका कहना है कि ओशो की मौत के सालों बाद भी कई सवालों के जवाब नहीं मिल रहे थे और मौत के कारणों को लेकर रहस्य बरक़रार है।

4.ओशो को कुछ लोग मानसिक विक्षिप्त क्यों कहते है?

ये तो सदा से होता आ रहा है। सभी सच्चे ज्ञानियों की पहचान करने में ये मानवता चूकती आ रही है। एक बात सदैव स्मरण रखे की पानी को पहचानने के लिए प्यास, भोजन को पहचानने के लिए भूख, और ज्ञानियों को पहचानने के लिए ज्ञान की अवश्यकता होती

ओशो जैसे बुद्ध पुरुष सदियों पश्चात इस धरती पे अवतरण लेते है। उनकी विधियों, एवं आदर्शो को जानने के लिए उनका सानिध्य अवशके है, जिन्होंने ने भी उनका सानिध्य प्राप्त किया चाहे वो मानसिक हो भावुक हो उन्होंने यही पाया की वो उन्ही के एवं उन्ही जैसे होने लगे।

बात रही आज के मनुष्य की मानसिकता इस कदर विकसित नहीं हुई है की उन्हें आम मनुष्य और बुध पुरुष में अंतर पता चल सके।

ओशो ने सभी विकृत मानसिकताओं पर अपने प्रवचन से कठोर प्रहार किया ताकि ये मानवता श्रेष्ठता के उज्ज्वल शिखर की ओर अग्रसर हो। इसी प्रहार को कुछ कुछ सहन नही कर पाते है, इनका व्यक्तित्व बहुत ही जटिलता और कुटिलता से भरा होता है।

जो व्यक्ति अपने आप को बदलना नहीं चाहते है और नए का आगमन नहीं चाहते और उसी पुराने तथाकथित विचारधाराओं को ही अपनी जमा पूंजी उनकी समझ कर उसे अपने अहंकार से पोषित करते रहते है उन्ही विकृत मानसिकता वाले लोग ऐसे बुध पुरुष को विक्षिप्त समझते है क्योंकि वे खुद ही विक्षिप्तता के शिखर पर होते है। मैंने आप से पूर्व में कहा था ना की संबंधित व्यक्तियों और वस्तुओ को समझने के लिए उससे संबंधित भावनाओ और ज्ञान का होना अनिवार्य तत्व होता है । ठीक उसी प्रकार इनकी मानसिकता और इनका ज्ञान विक्षिप्तताओ पर आधारित है इसलिए ये स्वयं तो विक्षिप्त है और अगर इनकी पूरी पूंजी विक्षिप्तताओं पर आधारित है और इनका ज्ञान ही विक्षिप्त है तो ये ऐसे बुध पुरुषो की तुलना अपनी इसी विक्षिप्त मानसिकता से करते है।

इतिहास गवाह है की ऐसे बुध पुरुष को कई विक्षिप्त लोग की विक्षिप्त घोषित करते है क्योंकि उनकी दूसरी की तुलना की इकाई ही विक्षिप्तता से आती है। ऐसे लोगो का ईश्वर ही मालिक होते है इनका कुछ नही किया जा सकता है।।

वो एक ऐसे व्यक्तित्व है जिनका अनुसरण पूरी मानव सभ्यता का अमूल चूल परिवर्तन हो सकता है । उनके बताए गए मार्गो को अगर हम आत्मसात करते है तो हमारा जीवन का उद्देश्य पूर्ण हो जाएगा।

सदियों बाद ऐसे व्यक्तित्व इस पृथ्वी पर अवतरित होते है । उन्होंने अनेकों विषयों पर सटीक और तथ्यगत प्रवचन दिए।

इस पूरी मानवता को एक नई मार्ग दिखाई तथा पूरे मनुष्य के जीवन में फैली पाखण्ड को भी खूब लताड़ा और उन्हें जग के सामने लाया।

उनके जीवन का उद्देश्य पूरे मानवता को सही आत्म बोध एवं होश की कला सिखाने का और आत्म साक्षात्कार करने का था।

वैसे तो उनकी कई सारी मार्गदर्शक प्रवचन है जो मनुष्य को एक नए मार्ग पर ले जाए, परंतु उसमे से कुछ को आप जरूर पढ़ें।

जैसे– जिन खोजा तिन पैया, कृष्ण मेरी दृष्टि में, समाधि के सप्तद्वार, शिव सूत्र इत्यादि।। उनको मेरा सहृदय प्रणाम।।

ऐसे ही नई नई रोचक जानकारियों केसे जुड़े रहने के लिए आपका स्वागत है हमारे ब्लॉग पर ।

Gyan Sarovar

धन्यवाद।।

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