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Showing posts from May, 2021

मेरे आदर्श हमारे सबसे प्रिय ओशो( Our beloved Osho)

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  मेरे आदर्श हमारे सबसे प्रिय ओशो   1. ओशो का शुरुआती जीवन 11 दिसंबर, 1931 को मध्य प्रदेश के कुचवाड़ा में उनका जन्म हुआ था. जन्म के वक्त उनका नाम चंद्रमोहन जैन था. बचपन से ही उन्हें दर्शन में रुचि पैदा हो गई। 2. अमरीका प्रवास साल 1981 से 1985 के बीच वो अमरीका चले गए. अमरीकी प्रांत ओरेगॉन में उन्होंने आश्रम की स्थापना की. ये आश्रम 65 हज़ार एकड़ में फैला था. ओशो का अमरीका प्रवास बेहद विवादास्पद रहा. महंगी घड़ियां, रोल्स रॉयस कारें, डिजाइनर कपड़ों की वजह से वे हमेशा चर्चा में रहे। ओरेगॉन में ओशो के शिष्यों ने उनके आश्रम को रजनीशपुरम नाम से एक शहर के तौर पर रजिस्टर्ड कराना चाहा लेकिन स्थानीय लोगों ने इसका विरोध किया। इसके बाद 1985 वे भारत वापस लौट आए। 3. ओशो की मृत्यु भारत लौटने के बाद वे पुणे के कोरेगांव पार्क इलाके में स्थित अपने आश्रम में लौट आए. उनकी मृत्यु 19 जनवरी, 1990 में हो गई. उनकी मौत के बाद पुणे आश्रम का नियंत्रण ओशो के क़रीबी शिष्यों ने अपने हाथ में ले लिया. आश्रम की संपत्ति करोड़ों रुपये की मानी जाती है और इस बात को लेकर उनके शिष्यों के बीच विवाद भी है. ओशो के शिष्य रहे योगेश

अपसरा साधना क्या है और इसके क्या दुष्परिणाम है? (What is apsara sadhna and it's negative facts.)

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अपसरा साधना क्या है और इसके क्या क्या दुष परिणाम है?   ये संसार बड़ा ही रहस्यमई शक्तियों से भरा पड़ा है, अप्सराएं इन्हीं शक्तियों मे से एक है। कहते है कि जब समुंद्र मंथन चल रहा था तब इन अप्सराओं कि उत्पत्ति हुई थी और सभी निधियों के विभाजन के अंतर्गत इन्हे देवराज इन्द्र को सौंपा गया। इनका रूप अत्यंत ही मादक होता है जिसे देख कर अच्छे अच्छे ज्ञानी भी मोहित ही जाए और उसके प्रेम मे पड़ जाए। ये अप्सराएं देवलोक में तरह तरह के विलास और नृत्य कर उनका मनोरंजन करती है तथा समय आने पर उनके द्वारा प्रदत्त कार्य का भी संपादन उचित रूप से करती है। अब सवाल पर आते है कि इनके साधना के दुष्परिणाम क्या हो सकते है। देखिए ये अप्सराएं स्वभाव से बहुत ही मृदुल होती है तथा अपने साधक को अपना सर्वस्व तक दे सकती है ये प्रेम कि भूखी होती है बशर्ते अगर हम इन्हे उस परम शुद्ध प्रेम को इसे दे सके। कोई भी साधना अगर उचित रूप से किया जाए तो वो सफल अवश्य होती है। ये भ्रांतियां है कि इनकी साधना से कोई दुष्परिणाम भी हो सकते है। हा अगर हम साधना मे बहुत दुस्कृत गलतियां करते है तो हमें दंड भागी भी बनना पड़ सकता है। ये अप्सराएं बह

Importance of shiv tandav and shiv Mahimn stotra

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  शिव तांडव स्तोत्र और शिव महिम्न स्तोत्र में से कौन ज्यादा श्रेष्ठ है। क्या कभी एक दवा सभी रोगोंके लिए कारगर साबित होते है या नहीं? आपका उत्तर होगा नहीं। तो ठीक उसी तरह ये दोनों स्तोत्र कि अपनी महत्ता है। शिव महिम्न स्तोत्र मे महादेव शिव कि महिमा गाई गई है। हम किसी कि महिमा कब गाते है, जब हम उनसे बहुत प्रेम करते है या फिर उनकी कृपा को पाकर अत्यंत ही गदगद ही उठते है। तो यह स्तोत्र हमे हमारे महादेव के प्रति प्रेम कि अभिव्यक्ति को दर्शाता है। शिव तांडव स्तोत्र अपने आप में एक बहुत ही तीव्र प्रभावकारी स्तोत्र है इसकी रचना स्वयं प्रकांड विद्वान ब्राह्मण " रावण" के द्वारा कि गई थी। इसका उपयोग हम अपनी विपत्ति काल में ही करे क्यूंकि ये एक अत्यंत उग्र स्तोत्र है। जो किसी भी कष्ट से हमे छुटकारा दिला सकता है। अब आप ये समझ लेना कि शिव तांडव स्तोत्र ही श्रेष्ठ है नहीं दोनों कि अपनी श्रेष्ठता है एक मधुर प्रेम मे गाया जाता हैं तो एक विपत्ति काल में। स्मरण रखे महादेव के तांडव भी दो प्रकार के है एक लस्य और दूसरा प्रलय तांडव एक खुशी मे किया जाता है तो एक विनाश मे। दोनों का अपना अलग महत्व है। ऐ

हनुमान चालीसा प्रतिदिन पढ़ने या सुनने से क्या लाभ होते हैं? (Benefits of reading Hanuman chalisa daily.)

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  हनुमान चालीसा प्रतिदिन पढ़ने या सुनने से क्या लाभ होते हैं? Bajrang Bali हनुमान या बजरंगबली इनके कई नाम है। ये एक ऐसे देवता है जो कलियुग में भी सक्रिय रूप से इस धरती पर निवास करते है। राम भक्त हनुमान सबसे बड़े रामभक्त है, राम के नाम को जपने वाला व्यक्ति हनुमान जी को परम प्रिय है। " श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकर सुधार" "बरनौ रघुरवर विमल जसू, जो दायक फल चारि"।। इन्हीं रामभक्त हनुमान जी कि स्तुति कि सरल सिद्ध स्तोत्र हनुमान चालीसा है। इनके चालीसा को प्रतिदिन पढ़ना और श्रवण करना अति लाभदायक होता है। इसके विभिन्न फायदे है -- मानसिक शांति - इसके रोजाना पाठ से मानसिक शांति होती है। गृह कलेश - जिनके घर मे अशांति रहती है वे इसका रोज पाठ करे। [भूत प्रेत बाधा - इसके पाठ से सभी प्रकार के भूत और प्रेत कि बाधा दूर होती हैं। " भूत प्रेत निकट नहि आवै, महावीर जब नाम सुनावे"।।] विवेक वृद्धि - इसके रोजाना पाठ से मंदबुद्धि बालक भी तीव्र बुद्धि एवम् विवेकवान होते है। हनुमान , वीर बजरंगबली से शोभित कई नामों वाले बजरंग बली एक बहुत बड़े भक्त भी है। इनकी भक्ति इस ब्रह्माण्ड