अपसरा साधना क्या है और इसके क्या दुष्परिणाम है? (What is apsara sadhna and it's negative facts.)

  • अपसरा साधना क्या है और इसके क्या क्या दुष परिणाम है?



 ये संसार बड़ा ही रहस्यमई शक्तियों से भरा पड़ा है, अप्सराएं इन्हीं शक्तियों मे से एक है। कहते है कि जब समुंद्र मंथन चल रहा था तब इन अप्सराओं कि उत्पत्ति हुई थी और सभी निधियों के विभाजन के अंतर्गत इन्हे देवराज इन्द्र को सौंपा गया। इनका रूप अत्यंत ही मादक होता है जिसे देख कर अच्छे अच्छे ज्ञानी भी मोहित ही जाए और उसके प्रेम मे पड़ जाए।



ये अप्सराएं देवलोक में तरह तरह के विलास और नृत्य कर उनका मनोरंजन करती है तथा समय आने पर उनके द्वारा प्रदत्त कार्य का भी संपादन उचित रूप से करती है।



अब सवाल पर आते है कि इनके साधना के दुष्परिणाम क्या हो सकते है। देखिए ये अप्सराएं स्वभाव से बहुत ही मृदुल होती है तथा अपने साधक को अपना सर्वस्व तक दे सकती है ये प्रेम कि भूखी होती है बशर्ते अगर हम इन्हे उस परम शुद्ध प्रेम को इसे दे सके। कोई भी साधना अगर उचित रूप से किया जाए तो वो सफल अवश्य होती है। ये भ्रांतियां है कि इनकी साधना से कोई दुष्परिणाम भी हो सकते है। हा अगर हम साधना मे बहुत दुस्कृत गलतियां करते है तो हमें दंड भागी भी बनना पड़ सकता है।

ये अप्सराएं बहुत ही उच्च गुणों वाली होती है तथा साधक के मन को भी जान लेती है। इसलिए छल करने की तो आप सोच भी नहीं सकते।

परन्तु अगर आप इनकी साधना को बड़े ही प्रेम और समर्पण के साथ सिद्ध करते है तो ये आपकी इस जीवन को प्रेम और प्रसन्नता से भर देगी और आपका जीवन भी सफल कर देगी।

कुछ ऐसे प्रमुख बिंदुओं को को हम ध्यान रखकर साधना करे तो हमे इसके दुष्परिणाम से बच सकते है -:

1.गुरु का स्थान - पहली बात किसी भी तरह कि साधना मे अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान गुरु का होता है क्यूंकि बिना गुरु के साधना मे आपका मार्गदर्शन कैसे हो सकता है। तथा साधना कि सही विधि भी उन्ही से प्राप्त होता है। इसलिए अगर हम बिना गुरु के साधना को प्रारंभ करते है तो इसमें होने वाली त्रुटि का जिम्मेवार सिर्फ और सिर्फ हम होंगे।

2. मानसिक संयम - अप्सराएं बहुत मृदुल परन्तु बुद्धिमान होती है इनके साधना को हमे अपने प्रेम भाव से करना चाहिए। इनकी साधना को करते समय हमे अपने मन पर पूर्ण रूप से नियंत्रण होना चाहिए। ज़रा सा भी गलत विचार हमारे साधना खंडित कर सकती है।

3. सात्विक जीवन शैली - इस प्रकार कि साधना हम मे हमे बहुत ही सात्विक जीवनचर्या को जीना पड़ता है। मांस- मदिरा इत्यादि व्यसनों से दूर रहना पड़ता है, क्योंकि ये शक्तियां पूर्ण सात्विक होती है।

4. पूर्ण समर्पण भाव एवम् प्रेम - ये अप्सराएं प्रेम से पूरिट और मृदुल स्वभाव कि होती है, इसलिए इनकी साधना को हम पूर्ण प्रेम एवम् विश्वास से करना चाहिए। कोई साधना बिना विश्वास और पूर्ण समर्पण के सिद्ध नहीं होती है।

तो अंततः ये जान ले की अगर हम किसी साधना को सच्चे मन और पूर्ण विश्वास से करे तो वो अवश्य ही सिद्ध होती है।

उसमे दुष्परिणाम का सवाल ही नहीं होता , परन्तु मनुष्य अपनी आदतों या इन्द्रियों से लाचार होता है इसलिए वह साधना मे विफलता प्राप्त करता है और उसका जीवन नर्क बन जाता है।

तो प्रेम और पूर्ण समर्पण के साथ साधना करे। आगे भी हम अपसरा साधना से जुड़ी  विस्तृत जानकारियां आपको उपलब्ध कराते रहेंगे।

ऐसे ही रोचक जानकारियों से जुड़े रहने के लिए आपका हमारे ब्लॉग पर स्वागत है।।


धन्यवाद।।।

Comments

Popular posts from this blog

हनुमान चालीसा प्रतिदिन पढ़ने या सुनने से क्या लाभ होते हैं? (Benefits of reading Hanuman chalisa daily.)

Importance of shiv tandav and shiv Mahimn stotra